झारखंड के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी शाहिद जीतराम की प्रतिमा का अनावरण

संवाददाता विक्की बेदिया।

पतरातु, रामगढ़ (झारखंड)। दिनांक 30.10.2024 शहीद जीतराम बेदिया एक प्रमुख आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका योगदान विशेष रूप से झारखंड और आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रहा है। जीतराम बेदिया का नाम भारत के आदिवासी आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में गर्व से लिया जाता है।

उनका इतिहास जीतराम बेदिया का जन्म झारखंड (तत्कालीन बिहार) के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। वे संथाल और मुंडा आदिवासी समाज से जुड़े थे। आदिवासी समाज में उनकी गहरी पैठ थी और वे सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक थे।

जीतराम बेदिया ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्थानीय आदिवासी समुदाय को संगठित किया। वे न केवल अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ लड़े, बल्कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों और संस्कृति को बचाने के लिए भी संघर्षरत रहे।

उनका आंदोलन विशेष रूप से ज़मींदारी प्रथा, वन कानूनों और ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासियों पर किए जा रहे शोषण के खिलाफ था। ब्रिटिश सरकार ने उनके आंदोलन को दबाने के लिए कई उपाय किए। जीतराम बेदिया को देशद्रोही करार दिया गया और उनकी हत्या कर दी गई। उनकी शहादत आदिवासी समाज के लिए एक प्रेरणा बनी और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है।

उनकी याद में झारखंड के क्षेत्र में स्मारक बनाए गए, बरकाकाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोड़ी बाजार में स्वतंत्रता सेनानी सहिद जीतराम बेदिया की प्रतिमा स्थापित उनके जन्म जयंती 10 दिसंबर के दिन ही स्थानीय आदिवासी समुदाय के द्वारा प्रतिमा अनावरण भी किया गया।